Haazri Likhwata Hu Har Gyaras Mein Lyrics: हाजरी लिखवाता हू हर ग्यारस में |

Haazri Likhwata Hu Har Gyaras Mein Lyrics: हाज़री लिखवाता हूँ हर ग्यारस में भजन की कथा एक भक्त की है जो हर ग्यारस को भगवान के सामने अपनी हाज़री लगाता है। वह भगवान से कहता है कि उसकी भक्ति और समर्पण हर ग्यारस को उनके दरबार में दर्ज हो। भगवान उसकी सच्ची भक्ति को देखकर उसकी प्रार्थना स्वीकार करते हैं और उसकी सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं।

हाज़री लिखवाता हूँ हर ग्यारस में,
मिलती है तन्खा मुझे बारश में,

दो दिन के बदले में तीस दिनों तक मौज करू,
अपने ठाकुर की सेवा भजनो से रोज करू,
रहता है तू सदा भक्तो के वश में,
हाज़री लिखवाता हूँ हर ग्यारस में,

दो आंसू जब बह जाते है चरणों में तेरे,
करता है घर की रखवाली जा कर तू घर मेरे,
झूठी ना खता हु दर पे मैं कस्मे,
हाज़री लिखवाता हूँ हर ग्यारस में

दुनिया की हर मौजे छूटे ग्यारस न छूटे,
श्याम के संग हर बार तेरे दर की मस्ती लुटे,
मिल गया तू मुझे भजनो के रस्मे,
हाज़री लिखवाता हूँ हर ग्यारस में ||

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