All Bhajan – Bhajan Lyrics https://allbhajan.com/ Bhajan Lyrics Mon, 16 Sep 2024 16:43:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://allbhajan.com/wp-content/uploads/2024/06/Untitled-design-3-150x150.png All Bhajan – Bhajan Lyrics https://allbhajan.com/ 32 32 238645621 Vishnu Chalisa Lyrics: विष्णु चालीसा,नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥ https://allbhajan.com/vishnu-chalisa-lyrics-hindi/ https://allbhajan.com/vishnu-chalisa-lyrics-hindi/#respond Fri, 13 Sep 2024 21:26:09 +0000 https://allbhajan.com/?p=641 Vishnu Chalisa Lyrics: विष्णु चालीसा का पाठ करने के कई लाभ हैं। यह शास्त्र भगवान विष्णु की 40 छंदों में […]

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Vishnu Chalisa Lyrics: विष्णु चालीसा का पाठ करने के कई लाभ हैं। यह शास्त्र भगवान विष्णु की 40 छंदों में स्तुति करता है, जो भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। नियमित पाठ से जीवन में सुख-समृद्धि, दैवीय आशीर्वाद और संकटों से मुक्ति मिलती है। विष्णु चालीसा के पाठ से समृद्धि, दीर्घकालिक स्वास्थ्य, और परिवारिक सौहार्द बढ़ता है। यह ध्यान और साधना की क्षमता को भी सुधारता है, जिससे मन को स्थिरता और सकारात्मकता मिलती है। इसके अलावा, यह भक्तों को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है। विष्णु चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शित करता है और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय,सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूँ,दीजै ज्ञान बताय॥

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीताम्बर अति सोहत।बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण।कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।रावण आदिक को संहारा॥
आप वाराह रूप बनाया।हिरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया।चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया।रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।असुरन को छबि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया।मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने धुरू प्रहलाद उबारे।हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे।दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुँ आपका किस विधि पूजन।कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण।कौन भाँति मैं करहुँ समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सिवकाई।हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।भव बन्धन से मुक्त कराओ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ।निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

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Saraswati Chalisa Lyrics: सरस्वती माता चालीसा। https://allbhajan.com/saraswati-chalisa-lyrics-hindi/ https://allbhajan.com/saraswati-chalisa-lyrics-hindi/#respond Fri, 13 Sep 2024 19:40:36 +0000 https://allbhajan.com/?p=635 Saraswati Chalisa Lyrics: सरस्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह देवी सरस्वती की […]

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Saraswati Chalisa Lyrics

Saraswati Chalisa Lyrics: सरस्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह देवी सरस्वती की पूजा का एक प्रभावशाली माध्यम है, जो ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी मानी जाती हैं। नियमित रूप से सरस्वती चालीसा का पाठ करने से शिक्षा में सुधार होता है और संज्ञानात्मक क्षमताओं में वृद्धि होती है। यह मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता को बढ़ावा देती है, जिससे अध्ययन और कार्य में सफलता मिलती है। इसके अलावा, यह बौद्धिक और रचनात्मक क्षमताओं को प्रोत्साहित करता है और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। सरस्वती चालीसा के पाठ से मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति प्राप्त होती है, जो जीवन की समस्याओं को सुलझाने में सहायक होती है। इस प्रकार, यह भक्ति और प्रेरणा का सशक्त स्रोत है।

॥ दोहा ॥

जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को,मातु तुही अब हन्तु॥

॥ चौपाई ॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा।पाप हीन करती महि तारा॥
बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई।आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता।तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी।विनय करूं बहु भाँति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला।बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी।सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै।कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी।मो कहं दास सदा निज जानी॥

॥ दोहा ॥

माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप।
डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु।
अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥

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Ganesh Chalisa Lyrics: गणेश चालीसा लिरिक्स,जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। https://allbhajan.com/ganesh-chalisa-lyrics-hindi/ https://allbhajan.com/ganesh-chalisa-lyrics-hindi/#respond Fri, 13 Sep 2024 19:00:04 +0000 https://allbhajan.com/?p=631 Ganesh Chalisa Lyrics: गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं। यह धार्मिक ग्रंथ भगवान गणेश […]

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Ganesh Chalisa Lyrics

Ganesh Chalisa Lyrics: गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं। यह धार्मिक ग्रंथ भगवान गणेश की आराधना करने का एक प्रभावशाली तरीका है, जो बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध हैं। गणेश चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में आ रही समस्याओं को हल करने की शक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह आत्म-संयम और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसके पाठ से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भक्ति भाव को प्रबल करता है और व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। इस प्रकार, गणेश चालीसा का निरंतर पाठ जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने में सहायक होता है।

।। दोहा।। 

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

।। चौपाई।।

जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥20॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

।। दोहा।। 

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥

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Shani Chalisa Lyrics: शनि चालीसा लिरिक्स,जयति जयति शनिदेव दयाला,करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ https://allbhajan.com/shani-chalisa-lyrics-hindi/ https://allbhajan.com/shani-chalisa-lyrics-hindi/#respond Fri, 13 Sep 2024 18:07:47 +0000 https://allbhajan.com/?p=625 Shani Chalisa Lyrics: शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में कई महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं। शनिदेव की […]

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Shani Chalisa Lyrics

Shani Chalisa Lyrics: शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में कई महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं। शनिदेव की पूजा और चालीसा का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जिनकी कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही हो। यह पाठ मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं और संकटों को कम किया जा सकता है। शनि चालीसा से व्यक्ति को आत्मबल और धैर्य मिलता है, जिससे वह कठिन परिस्थितियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है। इसके अलावा, यह पाठ करुणा, सामंजस्य और सच्चाई की ओर प्रेरित करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है।

।। दोहा।। 

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

।। चौपाई।।

जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।
रामचंद्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पांडव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जंबुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

।। दोहा।। 

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

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Durga Chalisa Lyrics: दुर्गा चालीसा लिरिक्स,नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अंबे दुःख हरनी। https://allbhajan.com/durga-chalisa-lyrics-hindi/ https://allbhajan.com/durga-chalisa-lyrics-hindi/#respond Fri, 13 Sep 2024 17:08:57 +0000 https://allbhajan.com/?p=619   Durga Chalisa Lyrics: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है। यह शास्त्र […]

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Durga Chalisa Lyrics

 

Durga Chalisa Lyrics: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है। यह शास्त्र देवी दुर्गा की आराधना का एक महत्वपूर्ण तरीका है, जो जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माँ दुर्गा की कृपा से समृद्धि, ऐश्वर्य, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह चालीसा विशेष रूप से बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है, जिससे आत्म-विश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।

।। दोहा।। 

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।। 

।। चौपाई।।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।
निराकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
 शशि ललाट मुख महा विशाला।
 नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।
रूप मातुको अधिक सुहावे। 
 दरश करत जन अति सुख पावे ।।
 तुम संसार शक्ति मय कीना ।
 पालन हेतु अन्न धन दीना ।।
अन्नपूरना हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।
 प्रलयकाल सब नासन हारी।
 तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
 ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
 दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।
 परगट भई फाड़कर खम्बा ।।
 रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माही।
 श्री नारायण अंग समाहीं । ।
 क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।
 दयासिंधु दीजै मन आसा ।।
हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी। 
 महिमा अमित न जात बखानी ।।
 मातंगी धूमावति माता।
 भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
 क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।। 
केहरि वाहन सोहे भवानी।
 लांगुर वीर चलत अगवानी ।।
 कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।
 जाको देख काल डर भाजै ।। 
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
 जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगर कोटि मे तुमही विराजत।
 तिहुं लोक में डंका बाजत ।।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
 रक्तबीज शंखन संहारे ।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
 जेहि अधिभार मही अकुलानी ।। 
रूप कराल काली को धारा। 
 सेन सहित तुम तिहि संहारा।।
परी गाढ़ संतन पर जब-जब। 
 भई सहाय मात तुम तब-तब ।।
 अमरपुरी औरों सब लोका।
 जब महिमा सब रहे अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
 तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।
 प्रेम भक्त से जो जस गावैं।
 दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।
 ध्यावें जो नर मन लाई ।
 जन्म मरण ताको छुटि जाई ।। 
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचारज तप कीन्हों ।
 काम क्रोध जीति सब लीनों ।। 
निसदिन ध्यान धरो शंकर को।
 काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।
शक्ति रूप को मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
 जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
 दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।
 मोको मातु कष्ट अति घेरों ।
 तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।
आशा तृष्णा निपट सतावै।
 रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।। 
शत्रु नाश कीजै महारानी।
 सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।
करो कृपा हे मातु दयाला।
 ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।। 
जब लगि जियौं दया फल पाऊं।
 तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।
दुर्गा चालीसा जो गावै ।
 सब सुख भोग परम पद पावै।। 
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।

।। दोहा।।

शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक । 
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।

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Shiv Chalisa Lyrics: शिव चालीसा, जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ https://allbhajan.com/shiv-chalisa-lyrics/ https://allbhajan.com/shiv-chalisa-lyrics/#respond Thu, 12 Sep 2024 11:38:41 +0000 https://allbhajan.com/?p=560 Shiv Chalisa Lyrics: शिव चालीसा का नियमित पाठ मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। यह भक्तों को शांति और […]

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shiv chalisa lyrics

Shiv Chalisa Lyrics: शिव चालीसा का नियमित पाठ मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। यह भक्तों को शांति और स्थिरता का अनुभव कराता है, और जीवन की कठिनाइयों को आसान बनाता है। शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। इसके साथ ही, यह भक्ति और समर्पण को गहराई से अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥

शिव चालीसा पाठ
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥

मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥

मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

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Hanuman Chalisa Lyrics: श्री हनुमान चालीसा, जय हनुमान ज्ञान गुन सागर| https://allbhajan.com/hanuman-chalisa-lyrics/ https://allbhajan.com/hanuman-chalisa-lyrics/#respond Wed, 11 Sep 2024 19:19:19 +0000 https://allbhajan.com/?p=544 Hanuman Chalisa Lyrics: हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति, आस्था और ऊर्जा का संचार करता है। यह तनाव और चिंता […]

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Hanuman Chalisa Lyrics

Hanuman Chalisa Lyrics: हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति, आस्था और ऊर्जा का संचार करता है। यह तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है और व्यक्ति को शक्ति और साहस प्रदान करता है। नियमित पाठ से आत्मबल में वृद्धि होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसके अलावा, यह कठिन परिस्थितियों में सहायता और रक्षा का आशीर्वाद भी प्रदान करता है, जिससे समर्पण और भक्ति का भाव भी मजबूत होता है।

Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चोपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥

Hanuman Chalisa Lyrics in English

Doha:
Shri Guru Charan Saroj raj Nija manu Mukura sudhari
Baranau Raghuvar Bimal Jasu Jo Dayaku Phala Chari
Budheeheen Tanu Jannike Sumiro Pavan Kumara
Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee Harahu Kalesh Vikaar

Chaupaii:
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar
Ram doot atulit bal dhama
Anjani putra Pavan sut nama

Mahabir vikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha

Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe moonj janeu saaje
Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan

Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya

Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jalava
Bhim roop dhari asur sanhare
Ramachandra ke kaj sanvare

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai

Sahas badan tumharo yash gaave
As kahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad Sarad sahit Aheesa

Yam Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha

Tumhro mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana
Yug sahasra yojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu

Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee
Durgam kaj jagat ke jete
Sugam anugraha tumhre tete

Ram duwaare tum rakhvare
Hot na agya binu paisare
Sab sukh lahai tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darna

Aapan tej samharo aapai
Teenon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavai

Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumat beera
Sankat se Hanuman chhudavai
Man Kram Vachan dhyan jo lavai

Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai

Charon jug partap tumhara
Hai parsiddh jagat ujiyara
Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulare

Ashta siddhi nav nidhi ke data
As var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa

Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai
Antkaal Raghuvar pur jayee
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee

Aur Devta Chitt na dharahin
Hanumat sei sarv sukh karahin
Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera

Jai Jai Jai Hanuman Gosain
Kripa Karahun Gurudev ki nayin
Jo shat bar path kare koi
Chhutahin bandi maha sukh hoi

Jo yeh padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi saakhi Gaureesa
Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hriday mahn dera

Hanuman Chalisa Lyrics in Bengali

প্রভু হনুমান জয় করুন।
জয় কপিস, সকল লোক উন্মোচিত।
রামের দূত অতুলনীয় শক্তি।
অঞ্জনী পুত্রের নাম পবনসুত।

মহাবীর বিক্রম বজরঙ্গী।
যিনি মন্দ চিন্তা দূর করেন এবং মহৎ ব্যক্তির সাহচর্য দান করেন।
কাঞ্চন বরন বিরাজ সুবেসা।
কানন কুণ্ডল কুঞ্চিত কেসা ॥4॥

হাত বজরা ও ধ্বজা বিরাজই।
পবিত্র সুতো কাঁধে শোভা পায়।
শঙ্কর নিজে/সুবন কেশরী নন্দন।
তেজ প্রতাপ মহা জগবন্দন।

বুদ্ধিমান, খুব চালাক।
রাম তার কাজ করতে আগ্রহী।
আপনি ঈশ্বরের মহিমা শোনার মধ্যে আনন্দিত.
সীতার মনে বাস করে রাম লখন।

সূক্ষ্ম আকারে দেখান।
ভয়ঙ্কর রূপ নিয়ে লঙ্ক জারাওয়া।
ভীম রূপে রাক্ষস পরাজিত হল।
সাজিয়েছেন রামচন্দ্রের কাজ।

লাখন দীর্ঘজীবী হোক।
মিঃ রঘুবীর হরষি এনেছেন।
রঘুপতি তার অনেক প্রশংসা করলেন।
তুমি আমার প্রিয় ভাই ভারতী ॥12॥

আমি যেমন আছি তোমার শরীরকে ভালোবাসি।
শ্রীপতিকে এই কথা বলিব।
সনকাদিক ব্রহ্মাদি মুনিসা।
নারদ ও সারদ সহ অহিসা।

কুবের দিগপাল কোথায়?
কোভিড কখন কোথায় বলতে পারে?
তুমি সুগ্রীবের কাছে কৃতজ্ঞ।
রাম মিলয় রাজ পদ দিহনা ॥16॥

আমি তোমার মন্ত্রকে বিভীষণ বলে মনে করেছি।
লঙ্কেশ্বর থাকলে সারা বিশ্ব জানবে।
জগ সহস্ত্র জোজনে ভানু।
লিলিও তাহি মিষ্টি ফল জানু৷

প্রভু মুদ্রিকা মেলি মুখ মাহি৷
এতে অবাক হওয়ার কিছু নেই যে তিনি জল পার হয়ে গেলেন।
অগম্য কাজের সংসারের ছেলেরা।
তোমার সহজ কৃপা ॥20॥

ভগবান রাম আমাদের রক্ষা করেন।
অনুমতি ছাড়া কোন টাকা থাকবে না।
সব সুখ আপনার স্যার।
রক্ষককে ভয় পাবো কেন?

আপনার তীব্রতা নিজেই নিয়ন্ত্রণ করুন।
তিন জগৎ কেঁপে কেঁপে উঠল।
ভূত আর ভ্যাম্পায়ার কাছে আসে না।
যখন মহাবীর নাম পাঠ করে ॥24॥

নাক রোগ সবুজ এবং সব কিছু বেদনাদায়ক।
নিরন্তর হনুমত বিরা জপ করুন।
হনুমান আপনাকে কষ্ট থেকে রক্ষা করবে।
যিনি মন এবং কথায় মনোযোগ আনেন।

রাম সকলের উপরে তপস্বী রাজা।
খড়ের কাজ স্থূল, আপনি এটির একটি অংশ।
আর তাই কে কখনো ইচ্ছা নিয়ে আসে।
সোই অমিত জীবনের ফল পেল।।২৮

তোমার জাঁকজমক চার যুগ জুড়ে।
এটি বিশ্বের বিখ্যাত আলো।
তুমি সাধুদের রক্ষাকারী।
অসুর নিকন্দন রাম দুলারে ॥

আটটি সিদ্ধি এবং নয়টি ধনদাতা।
যত বার দীন জানকী মাতা ॥
রাম রসায়ন তোমার পাশা।
সর্বদা রঘুপতির সেবক থাক।

তোমার ভক্তির দ্বারা শ্রীরামকে পাওয়া যায়।
ভুলে যাও বহু জন্মের দুঃখ।
শেষবারের মতো রঘুবরপুরে গিয়েছিলেন।
হরি ভক্তের জন্ম কোথায়?

আর দেবতা কিছু মনে করেননি।
হনুমত সবাইকে খুশি করে।
সমস্ত বিপদ দূর হয়ে যাবে এবং সমস্ত ব্যথা অদৃশ্য হয়ে যাবে।
জো সুমিরই হনুমত বলবীরা ॥36॥

জয়, জয়, জয়, শ্রী হনুমান, ইন্দ্রিয়ের অধিপতি।
দয়া করে আমাকে গুরুদেবের মতো আশীর্বাদ করুন।
যে ব্যক্তি এটি 100 বার পড়বে।
বন্দী মুক্ত হলে মহা আনন্দ হয়।

যে এই হনুমান চালিসা পাঠ করবে।
হ্যাঁ সিদ্ধি সখী গৌরীসা।
তুলসীদাস সদা হরি চেরা।
কিজই নাথ হৃদয় মহা ডেরা।।

Hanuman Chalisa in Telugu

హనుమంతునికి నమస్కారము.
జై కాపులు, ప్రజలంతా బట్టబయలు.
రాముని దూత సాటిలేని శక్తి.
అంజనీ కొడుకు పేరు పవన్‌సుత్.

మహాబీర్ బిక్రమ్ బజరంగీ.
దుష్ట చింతనను తొలగించి సజ్జనుల సాంగత్యాన్ని ప్రసాదించేవాడు.
కంచన్ బరన్ బిరాజ్ సుబేసా.
కానన్ కుండల్ కుంచిత్ కేసా ॥4

హత్ బజ్రా మరియు ధ్వజ బిరాజై.
పవిత్రమైన థ్రెడ్ భుజాలను అలంకరిస్తుంది.
శంకర్ స్వయంగా/సువన్ కేసరి నందన్.
తేజ్ ప్రతాప్ మహా జగ్వందన్

తెలివైనవాడు, చాలా తెలివైనవాడు.
రామ్ తన పని పూర్తి చేసుకోవాలని తహతహలాడుతున్నాడు.
మీరు దేవుని మహిమలను వినడంలో ఆనందిస్తారు.
సీత మనసులో రామ్ లఖన్ ఉంటాడు.

సూక్ష్మ రూపంలో ప్రదర్శించండి.
భయంకరమైన రూపంతో లంకె జరావా.
భీముని రూపంలో ఉన్న రాక్షసుడు ఓడిపోయాడు.
రామచంద్ర రచనను అలంకరించారు.

లఖన్ చిరకాలం జీవించండి.
మిస్టర్ రఘుబీర్ హర్షి తెచ్చారు.
రఘుపతి చాలా మెచ్చుకున్నాడు.
నీవు నా ప్రియ సోదరుడివి భారతి ॥12

నేను మీ శరీరాన్ని నాలాగే ప్రేమిస్తున్నాను.
శ్రీపతితో ఈ మాట చెబుతాను.
సనకాదిక్ బ్రహ్మాది మునీసా.
నారద్ మరియు శారద్‌లతో పాటు అహిసా.

కుబేర్ దిగ్‌పాల్ ఎక్కడ ఉన్నారు?
కోవిడ్ ఎప్పుడు ఎక్కడ చెప్పగలడు?
నీవు సుగ్రీవునికి కృతజ్ఞుడవు.
రామ్ మిలయ్ రాజ్ పద్ దిహ్నా ॥16

నేను నీ మంత్రాన్ని బిభీషణంగా భావించాను.
లంకేశ్వరుడు ఉంటే ప్రపంచం మొత్తం తెలిసిపోతుంది.
జగ్ సహస్త్ర జోజన్ న భాను.
లిల్యో తాహి మధుర ఫల జాను ॥

ప్రభు ముద్రిక మేలి ముఖ మాహీ।
అతను నీటిని దాటడంలో ఆశ్చర్యం లేదు.
దుర్గమమైన పని ప్రపంచపు పుత్రులు.
నీ సులభ కృప ॥20

రాముడు మనలను రక్షిస్తాడు.
అనుమతి లేకుండా డబ్బు ఉండదు.
సంతోషం అంతా మీదే సార్.
రక్షకుడికి ఎందుకు భయపడాలి?

మీ తీవ్రతను మీరే నియంత్రించుకోండి.
మూడు లోకాలూ వణికిపోయాయి.
దయ్యాలు, పిశాచాలు దగ్గరకు రావు.
మహావీరుడు తన నామమును పఠించినప్పుడు ॥24

ముక్కు వ్యాధి ఆకుపచ్చ మరియు ప్రతిదీ బాధాకరమైనది.
నిరంతరం హనుమత్ బీరా జపం చేయండి
హనుమంతుడు మిమ్మల్ని కష్టాల నుండి రక్షిస్తాడు.
మనసుకు, మాటలకు దృష్టిని తెచ్చేవాడు.

రాముడు అన్నింటికంటే సన్యాసి రాజు.
గడ్డి యొక్క పని స్థూలమైనది, మీరు దానిలో భాగం.
మరియు ఎవరు ఎప్పుడైనా కోరికను తీసుకువస్తారు.
సోయి అమిత్ జీవిత ఫలాలు పొందారు.28

నీ తేజస్సు నాలుగు యుగాలలోనూ ఉంది.
ఇది ప్రపంచంలోని ప్రసిద్ధ కాంతి.
నీవు సాధువులకు రక్షకుడవు.
అసుర నికందన్ రామ్ దులారే ॥

ఎనిమిది విజయాలు మరియు తొమ్మిది సంపదలను ఇచ్చేవాడు.
బార్ దీన్ జానకీ మాతాగా ॥
రామ్ రసాయన్ మీ పాచిక.
ఎల్లప్పుడు రఘుపతి సేవకునిగా ఉండుము.

నీ పట్ల భక్తితో శ్రీరాముని పొందుతాడు.
ఎన్నో జన్మల బాధలను మరచిపో.
చివరిసారిగా రఘువరపూర్‌కు వెళ్లారు.
హరి భక్తుడు ఎక్కడ జన్మించాడు?

మరియు దేవుడు పట్టించుకోలేదు.
హనుమత్ అందరినీ సంతోషపరుస్తాడు.
అన్ని ఆపదలు తొలగిపోతాయి మరియు అన్ని బాధలు తొలగిపోతాయి.
జో సుమిరాయ్ హనుమత్ బల్బీరా ॥36

వడగళ్ళు, వడగళ్ళు, వడగళ్ళు, శ్రీ హనుమాన్, ఇంద్రియాలకు ప్రభువు.
దయచేసి నన్ను గురుదేవ్ లాగా ఆశీర్వదించండి.
ఎవరైతే 100 సార్లు పఠిస్తారో.
ఖైదీ విడుదలైనప్పుడు గొప్ప ఆనందం ఉంది.

ఈ హనుమాన్ చాలీసా ఎవరు చదివినా.
అవును సిద్ధి సఖీ గౌరీసా.
తులసీదాసు ఎప్పుడూ హరి చేరా.
కిజై నాథ్ హృదయ్ మహా డేరా.

Hanuman Chalisa in Kannada

ಹನುಮಂತ ದೇವರಿಗೆ ನಮಸ್ಕಾರ.
ಜೈ ಕಪಿಗಳು, ಎಲ್ಲಾ ಜನರು ಬಹಿರಂಗವಾಗಿದ್ದಾರೆ.
ರಾಮನ ದೂತ ಅಪ್ರತಿಮ ಶಕ್ತಿ.
ಅಂಜನಿ ಮಗನ ಹೆಸರು ಪವನಸುತ್.

ಮಹಾಬೀರ್ ಬಿಕ್ರಮ್ ಬಜರಂಗಿ.
ದುಷ್ಟ ಚಿಂತನೆಯನ್ನು ಹೋಗಲಾಡಿಸಿ ಸಜ್ಜನರ ಸಾಂಗತ್ಯವನ್ನು ನೀಡುವವನು .
ಕಾಂಚನ ಬರನ್ ಬಿರಾಜ ಸುಬೇಸಾ।
ಕಾನನ್ ಕುಂಡಲ್ ಕುಂಚಿತ್ ಕೇಸ ॥೪

ಹತ್ ಬಜ್ರಾ ಮತ್ತು ಧ್ವಜ ಬಿರಾಜೈ.
ಪವಿತ್ರ ದಾರವು ಭುಜಗಳನ್ನು ಅಲಂಕರಿಸುತ್ತದೆ.
ಶಂಕರ್ ಸ್ವತಃ/ಸುವನ್ ಕೇಸರಿ ನಂದನ್.
ತೇಜ್ ಪ್ರತಾಪ್ ಮಹಾ ಜಗವಂದನ್ ॥

ಬುದ್ಧಿವಂತ, ಬಹಳ ಬುದ್ಧಿವಂತ.
ರಾಮ್ ತನ್ನ ಕೆಲಸವನ್ನು ಮಾಡಲು ಉತ್ಸುಕನಾಗಿದ್ದಾನೆ.
ದೇವರ ಮಹಿಮೆಗಳನ್ನು ಕೇಳುವುದರಲ್ಲಿ ನೀವು ಸಂತೋಷಪಡುತ್ತೀರಿ.
ರಾಮ್ ಲಖನ್ ಸೀತೆಯ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ನೆಲೆಸಿದ್ದಾನೆ.

ಸೂಕ್ಷ್ಮ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಪ್ರದರ್ಶಿಸಿ.
ಲಂಕ್ ಜರಾವಾ ಭಯಾನಕ ರೂಪ.
ಭೀಮನ ರೂಪದಲ್ಲಿರುವ ರಾಕ್ಷಸನು ಸೋಲಿಸಲ್ಪಟ್ಟನು.
ರಾಮಚಂದ್ರ ಅವರ ಕೃತಿಯನ್ನು ಅಲಂಕರಿಸಿದರು.

ಲಖನ್ ಅವರಿಗೆ ಜಯವಾಗಲಿ.
ಶ್ರೀ ರಘುಬೀರ್ ಹರ್ಷಿ ತಂದರು.
ರಘುಪತಿ ಅವರನ್ನು ಬಹುವಾಗಿ ಹೊಗಳಿದರು.
ನೀನು ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿಯ ಸಹೋದರ ಭಾರತಿ ॥೧೨

ನಾನು ನಿಮ್ಮ ದೇಹವನ್ನು ನನ್ನಂತೆಯೇ ಪ್ರೀತಿಸುತ್ತೇನೆ.
ಇದನ್ನು ಶ್ರೀಪತಿಗೆ ಹೇಳುತ್ತೇನೆ.
ಸನಕದಿಕ್ ಬ್ರಹ್ಮಾದಿ ಮುನೀಸ।
ನಾರದ ಮತ್ತು ಸರದ್ ಜೊತೆಗೆ ಅಹಿಸಾ.

ಕುಬೇರ್ ದಿಗ್ಪಾಲ್ ಎಲ್ಲಿದ್ದಾರೆ?
ಕೋವಿಡ್ ಯಾವಾಗ ಎಲ್ಲಿ ಹೇಳಬಹುದು?
ನೀನು ಸುಗ್ರೀವನಿಗೆ ಕೃತಜ್ಞನಾಗಿದ್ದೀಯೆ.
ರಾಮ್ ಮಿಲಯ್ ರಾಜ್ ಪದ್ ದಿಹ್ನಾ ॥16

ನಾನು ನಿನ್ನ ಮಂತ್ರವನ್ನು ಬಿಭೀಷಣ ಎಂದು ಪರಿಗಣಿಸಿದೆ.
ಲಂಕೇಶ್ವರನಿದ್ದರೆ ಜಗತ್ತಿಗೇ ತಿಳಿಯುತ್ತದೆ.
ಜಗ್ ಸಹಸ್ತ್ರ ಜೋಜನ್ ಮೇಲೆ ಭಾನು.
ಲಿಲ್ಯೋ ತಾಹಿ ಸಿಹಿ ಫಲ ಜಾನೂ ॥

ಪ್ರಭು ಮುದ್ರಿಕಾ ಮೇಲಿ ಮುಖ ಮಾಹೀ।
ಅವನು ನೀರನ್ನು ದಾಟಿದರೂ ಆಶ್ಚರ್ಯವಿಲ್ಲ.
ದುಸ್ತರ ದುಡಿಮೆಯ ಲೋಕದ ಪುತ್ರರು.
ನಿನ್ನ ಸುಲಭ ಕೃಪೆ ॥೨೦

ಶ್ರೀರಾಮನು ನಮ್ಮನ್ನು ಕಾಪಾಡುತ್ತಾನೆ.
ಅನುಮತಿ ಇಲ್ಲದೆ ಹಣ ಇರುವುದಿಲ್ಲ.
ಎಲ್ಲಾ ಸಂತೋಷ ನಿಮ್ಮದೇ ಸರ್.
ರಕ್ಷಕನಿಗೆ ಏಕೆ ಭಯಪಡಬೇಕು?

ನಿಮ್ಮ ತೀವ್ರತೆಯನ್ನು ನೀವೇ ನಿಯಂತ್ರಿಸಿ.
ಮೂರು ಲೋಕಗಳೂ ನಡುಗಿ ನಡುಗಿದವು.
ದೆವ್ವ ಮತ್ತು ಪಿಶಾಚಿಗಳು ಹತ್ತಿರ ಬರುವುದಿಲ್ಲ.
ಮಹಾವೀರನು ತನ್ನ ಹೆಸರನ್ನು ಹೇಳಿದಾಗ ॥೨೪॥

ಮೂಗಿನ ರೋಗವು ಹಸಿರು ಮತ್ತು ಎಲ್ಲವೂ ನೋವಿನಿಂದ ಕೂಡಿದೆ.
ಹನುಮತ್ ಬಿರಾ ನಿರಂತರವಾಗಿ ಜಪಿಸು
ಹನುಮಂತನು ನಿಮ್ಮನ್ನು ತೊಂದರೆಯಿಂದ ಪಾರು ಮಾಡುತ್ತಾನೆ.
ಮನಸ್ಸು ಮತ್ತು ಮಾತುಗಳಿಗೆ ಗಮನವನ್ನು ತರುವವನು.

ರಾಮನು ಎಲ್ಲಕ್ಕಿಂತ ತಪಸ್ವಿ ರಾಜ.
ಒಣಹುಲ್ಲಿನ ಕೆಲಸವು ಸ್ಥೂಲವಾಗಿದೆ, ನೀವು ಅದರ ಭಾಗವಾಗಿದ್ದೀರಿ.
ಮತ್ತು ಯಾರು ಯಾವಾಗಲೂ ಆಸೆಯನ್ನು ತರುತ್ತಾರೆ.
ಸೋಯಿ ಅಮಿತ್ ಜೀವನದ ಫಲವನ್ನು ಪಡೆದರು.28

ನಿಮ್ಮ ವೈಭವವು ಎಲ್ಲಾ ನಾಲ್ಕು ಯುಗಗಳಲ್ಲೂ ಇದೆ.
ಇದು ಪ್ರಪಂಚದ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಬೆಳಕು.
ನೀನು ಸಂತರ ರಕ್ಷಕ.
ಅಸುರ ನಿಕಂದನ ರಾಮ್ ದುಲಾರೇ ॥

ಎಂಟು ಸಾಧನೆಗಳನ್ನು ಮತ್ತು ಒಂಬತ್ತು ಸಂಪತ್ತುಗಳನ್ನು ನೀಡುವವನು.
ಬಾರ್ ದೀನ್ ಜಾನಕೀ ಮಾತಾ ॥
ರಾಮ ರಸಾಯನ ನಿಮ್ಮ ದಾಳ.
ಯಾವಾಗಲೂ ರಘುಪತಿಯ ಸೇವಕನಾಗಿಯೇ ಇರು.

ನಿನ್ನ ಭಕ್ತಿಯಿಂದ ಶ್ರೀರಾಮನನ್ನು ಪಡೆಯುತ್ತಾನೆ.
ಅನೇಕ ಜನ್ಮಗಳ ದುಃಖವನ್ನು ಮರೆತುಬಿಡಿ.
ಕೊನೆಯ ಬಾರಿಗೆ ರಘುವರಪುರಕ್ಕೆ ಹೋಗಿದ್ದೆ.
ಹರಿ ಭಕ್ತ ಹುಟ್ಟಿದ್ದು ಎಲ್ಲಿ?

ಮತ್ತು ದೇವರು ತಲೆಕೆಡಿಸಿಕೊಳ್ಳಲಿಲ್ಲ.
ಹನುಮತ್ ಎಲ್ಲರನ್ನೂ ಸಂತೋಷಪಡಿಸುತ್ತಾನೆ.
ಎಲ್ಲಾ ಅಪಾಯಗಳು ದೂರವಾಗುತ್ತವೆ ಮತ್ತು ಎಲ್ಲಾ ನೋವುಗಳು ಮಾಯವಾಗುತ್ತವೆ.
ಜೋ ಸುಮಿರೈ ಹನುಮತ್ ಬಲ್ಬಿರಾ ॥೩೬

ಆಲಿಕಲ್ಲು, ಆಲಿಕಲ್ಲು, ಆಲಿಕಲ್ಲು, ಶ್ರೀ ಹನುಮಾನ್, ಇಂದ್ರಿಯಗಳ ಅಧಿಪತಿ.
ದಯವಿಟ್ಟು ಗುರುದೇವನಂತೆ ನನ್ನನ್ನು ಆಶೀರ್ವದಿಸಿ.
ಯಾರು ಅದನ್ನು 100 ಬಾರಿ ಪಠಿಸುತ್ತಾರೆ.
ಕೈದಿ ಬಿಡುಗಡೆಯಾದಾಗ ಬಹಳ ಸಂತೋಷವಾಗುತ್ತದೆ.

ಈ ಹನುಮಾನ್ ಚಾಲೀಸವನ್ನು ಯಾರು ಓದುತ್ತಾರೆ.
ಹೌದು ಸಿದ್ಧಿ ಸಖಿ ಗೌರೀಸಾ.
ತುಳಸೀದಾಸ ಸದಾ ಹರಿ ಚೇರ.
ಕಿಜೈ ನಾಥ್ ಹೃದಯ ಮಹಾ ದೇರಾ.

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Shiv Ji Ki Aarti: शिव जी की आरती https://allbhajan.com/shiv-ji-ki-aarti/ https://allbhajan.com/shiv-ji-ki-aarti/#respond Wed, 11 Sep 2024 13:15:02 +0000 https://allbhajan.com/?p=498 Shiv Ji Ki Aarti: शिव जी की आरती करने के अनेक लाभ हैं। यह आरती मानसिक शांति और आत्मिक सुकून […]

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Shiv Ji Ki Aarti

Shiv Ji Ki Aarti: शिव जी की आरती करने के अनेक लाभ हैं। यह आरती मानसिक शांति और आत्मिक सुकून प्रदान करती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। शिव जी की आरती से भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और बल मिलता है, जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करने में सहायक होता है। यह नियमित पूजा और भक्ति की भावना को प्रबल करती है, जिससे जीवन में समृद्धि और संतुलन आता है। इसके अलावा, शिव जी की आरती परिवार में एकता और सामाजिक सौहार्द को भी बढ़ावा देती है, जिससे संबंध मजबूत और सुखमय बनते हैं।

जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

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Lakshmi Ji Ki Aarti 2024

Lakshmi Ji Ki Aarti 2024: लक्ष्मी जी की आरती करने से कई लाभ होते हैं। सबसे पहले, यह आर्थिक समृद्धि में वृद्धि करती है और धन की कमी को दूर करती है। पारिवारिक सुख-शांति में सुधार होता है, जिससे घर में प्रेम और सहयोग बढ़ता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, आरती से भक्ति की भावना गहरी होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। संकट और विपत्तियों से राहत मिलती है, जिससे जीवन संतुलित रहता है। इसके अलावा, स्वास्थ्य में सुधार होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस प्रकार, लक्ष्मी माता की आरती से जीवन खुशहाल और समृद्ध बनता है।

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

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Hanuman Ji Ki Aarti | श्री हनुमान जी की आरती https://allbhajan.com/hanuman-ji-ki-aarti/ https://allbhajan.com/hanuman-ji-ki-aarti/#respond Wed, 11 Sep 2024 05:16:26 +0000 https://allbhajan.com/?p=472 Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी की पूजा के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं। सबसे पहले, यह व्यक्ति को मानसिक और […]

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Hanuman Ji Ki Aarti

Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी की पूजा के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं। सबसे पहले, यह व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है, जिससे चुनौतियों का सामना करना आसान होता है। पूजा से आत्म-विश्वास और ऊर्जा मिलती है, जो जीवन की समस्याओं को सुलझाने में सहायक होती है। हनुमान जी की पूजा से संकट और परेशानियाँ दूर होती हैं, और सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति की भावना को भी गहरा करती है। भक्तों को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे जीवन में संतुलन और खुशी बनी रहती है।

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

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